
My Story
क्या आपको पता है , शादी से पहले राधिका को नमिता के नाम से जाना जाता था। इनका का बचपन पंजाब और दिल्ली की गलियों में बीता , जहाँ इन्होने अपने भाई और बहनों के साथ मिलके खूब शैतानियाँ की। शादी के बाद ये राधिका बन गई, लेकिन दिल और शरारतों में वो ही नमिता रही।
वो एक ऐसी लेखिका है जिनकी रसोई में भी जादू होता है, और शब्दों में संगीत बिखरता है। राधिका सिर्फ एक लेखिका नहीं हैं, बल्कि स्वादिष्ट खाना भी बनती है। बचपन से ही किताबों की दुनिया में खो जाने वाली राधिका ने अपने पिता से शब्दों का सौंदर्य सीखा। एक माँ बनकर उन्होंने अपनी कल्पनाओं को नई उड़ान दी और अपने बच्चों के लिए अद्भुत कहानियों की दुनिया रची। राधिका एक ऐसी कथाकार है जिनके शब्दों में जीवन की हर रंगीन छटा समाई हुई है। उनके शब्द आपको अपने से लगेंगे।
जीवन के उतार-चढ़ाव को शब्दों में पिरोना राधिका जी लिए केवल एक अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि आत्मा की गहराइयों से निकली सच्ची अनुभूति है। लेखन बचपन से ही इनका सच्चा साथी रहा है, और यह पुस्तक "इब्तिदा" उसी यात्रा की एक खूबसूरत शुरुआत है। इसमें प्रेम, पीड़ा और आध्यात्मिकता के अनेक रंग समाहित हैं, जो हृदय की भावनाओं का प्रतिबिंब हैं।